आज देश
के आम लोगों का मुख्य कर्तव्य है कि वे नेताओं की गलतियों को सुधारें और शोषण-विरोधी
आंदोलन चला कर भारतवर्ष को एकताबद्ध करें । भारतवर्ष को बचाना होगा । यह शोषण-विरोधी
आंदोलन न सिर्फ भारतवर्ष को एक करेगा बल्कि पाकिस्तान और दक्षिण-पूर्व के गरीब और
पिछड़े देशों के साथ भी उसकी एकता स्थापित करेगा। इस तरह एक मजबूत राष्ट्र या
राष्ट्रों का समूह विकसित होगा । इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस राष्ट्र या
राष्ट्रों के समूह को हम क्या कह कर पुकारते हैं।
इसी तरह
के शोषण-विरोधी आंदोलन ने रूस को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में संगठित किया । इस आंदोलन ने चीन को एक मजबूत देश बनाया।
पूँजीवादी देश शोषण-विरोधी भावना पर संगठित नहीं हुए
हैं; उनकी एकता दूसरी भावनाओं पर आधारित है । उन्होंने
अपनी आतंरिक विविधता को स्वीकार कर अपनी एकता को बनाए रखा है । भारतवर्ष के नेताओं
को इन राष्ट्रों की परिस्थितियों का सावधानी से अध्ययन
करना चाहिए।
हालाँकि
राष्ट्र के निर्माण में शोषण-विरोधी भावना सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व है, लेकिन यह भावना राष्ट्र को लम्बे समय तक बनाए नहीं रख सकती। एक दिन शोषण
समाप्त हो जाएगा। अगर पूरी तरह समाप्त न भी हुआ तो भी यह पूर्ण विश्वास के साथ कहा
जा सकता है कि आज की तुलना में यह काफी कम हो जाएगा। जैसे ही प्रशासनिक सत्ता
नैतिकों के हाथों में चली जायेगी, शोषण समाप्त हो जाएगा।
किसी भी तरह के शोषण की अनुपस्थिति में शोषण-विरोधी भावना खत्म हो जाएगी, तब शोषण-विरोधी भावना पर आधारित राष्ट्र भी बना नहीं रह पायेगा।
फिर क्या
होगा? आध्यात्मिक धरोहर और वृहत आदर्श की भावना लोगों को
एकताबद्ध रखेगी। यह सत्य है कि आध्यात्मिक भावना लोगों को किसी एक देश विशेष में
राष्ट्रीयता की भावना विकसित करने में मदद नहीं करेगी, लेकिन वह पूरी दुनिया को एक कर देगी, बल्कि पूरे ब्रह्माण्ड को एक
राष्ट्र में बदल देगी। तब एक ही राष्ट्र होगा -- सार्वभौमिक राष्ट्र।
आज सभी
देशों के लोगों को न सिर्फ आर्थिक शोषण बल्कि हर तरह के शोषण के खिलाफ काम करना चाहिए, और अपने
देशों में मजबूत राष्ट्रीयता की भावना को विकसित करना चाहिए। दूसरी ओर, उन्हें इस सिद्धांत का भी प्रचार करना चाहिए कि हर जीव एक परम सत्ता की
संतान है, तथा सभी एक परिवार के सदस्य हैं। यह बात सभी
को समझानी होगी कि जब तक छोटे-छोटे राष्ट्रों की भावना रहेगो, तब तक उनमे आपसी लड़ाई जारी रहेगी। लोग भले ही निशस्त्रीकरण की बातें करें लेकिन
चोरी-छिपे सैन्य तैयारी चलती रहेगी। और अगर लोग पूरी मानव जाति की भलाई में लग
जाएँ, तो उनके अपने राष्ट्र भी उससे लाभान्वित होंगे क्योंकि
आखिर उनके देश इस पृथ्वी से बाहर तो नहीं हैं।
आध्यात्मिक
धरोहर के सिद्धांत के साथ-साथ, एक वृहत आदर्श का भी प्रचार किया जाना आवश्यक है, और वह
आदर्श है कि एक परम सत्ता सभी जीवों का लक्ष्य है। यह आध्यात्मिक आदर्श ही
मनुष्यों को हमेशा के लिए जोड़ कर रखेगा। कोई और सिद्धांत मानव जाति को नहीं बचा
सकता।
-- श्री प्रभात रंजन सरकार
चित्र आभार : http://www.aljazeera.com
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