- रिपोर्ट
अपने संबोधन में निस्ताने ने कहा, "सत्ता में चाहे कोई भी पार्टी हो, भारतवर्ष में जनता की स्थिति पिछले 70 वर्षों से बद से बदतर होती जा रही है, और किसान की हालत सबसे ज्यादा ख़राब है। हाल ही में पारित तीन कृषि कानून इस तथ्य का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत हैं कि सरकार यहाँ अपने पूँजीवादी आकाओं की सेवा कर रही है। उसे जनता के दुःख-दर्द से कोई सरोकार नहीं है।” उन्होंने कहा कि कृषि को एक उद्योग के रूप में पुनर्गठित करने की आवश्यकता है ताकि यह किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय बन जाए। धरने के बाद, भारत के प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा गया।
ज्ञात हो कि पीबीआई (विदर्भ) न सिर्फ किसानों के हितों के लिए काम कर रही है, बल्कि लम्बे समय से पृथक विदर्भ राज्य की माँग को लेकर भी आंदोलन कर रही है।
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